नीले दाँत वाला आदमी
सबसे पहले पहल जब एक नीले दाँत वाले तो देखा तो घबरा गया। सोचने लगा की ये क्या नई बला आ गई इंसानियत तो परेशान करने। मैं आधुनिक सामाजिक तानेबाने के कारण पैदा हुई मानसिक स्थितियों को कोसने लगा था।
जब असली मुद्दा समझ आया तब मन तो शांत हो गया पर मस्तिष्क शायद नहीं माना क्योंकि बातें करते हुए नीले दाँत वालों से मैं अब भी अक्सर बात कर बैठता हूँ। खासकर जब वो मेरी ओर देखते हुए हाल चाल पूछ लेते हैं या मुझे देख खुशी जाहिर करते हैं। सार्वजनिक रूप से, पूरे हाव भाव से साथ, इन्सान का खुद से यूँ बातें करना शायद मैं कभी समझ नहीं पाऊँगा। और शायद वो भी नहीं समझ पायेंगे की मैं समझ क्यों नहीं पा रहा!
नीले दाँत वाला आदमी
खुद से बातें करता वो – बागानों में, बाज़ारों में;
खुद से बातें करता वो – सड़को में, आगारों में;खुद से बातें करता वो – ट्रेनों बसों में, कारों में;
खुद से बातें करता वो – तहखानों में, मीनारों में;खुद बोलता, खुद चिल्लाता, खुद से बातें करता वो,
खुद हँसता, खुद रो जाता, खुद से बातें करता वो;देखा तो होगा तुमने भी, खुद से बातें करता वो…
…वो नीले दाँत वाला आदमी?
नीले दाँत वाले आदमी से मेरा आशय ब्लू टूथ डिवाइस के माध्यम से सार्वजनिक स्थानों पर पूरी भाव भंगिमा के साथ बातें करने वाला व्यक्ति है।