बलि के बकरे
लगभग सभी विचारधाराओं की नींव में हिंसा छुपी है – चाहे हिंसा बल की हो या शब्दों की। और जहाँ हिंसा होते है वहाँ होते हैं बलि के बकरे। हम समय के सत्ता बदल देते हैं, विचारधारा बदल देते हैं पर एक बलि-विहीन व्यवस्था स्थापित नहीं कर पाते।
लगभग सभी विचारधाराओं की नींव में हिंसा छुपी है – चाहे हिंसा बल की हो या शब्दों की। और जहाँ हिंसा होते है वहाँ होते हैं बलि के बकरे। हम समय के सत्ता बदल देते हैं, विचारधारा बदल देते हैं पर एक बलि-विहीन व्यवस्था स्थापित नहीं कर पाते।
सब जगह का होते हुए भी कहीं का ना होता हुआ एक पुराना गाँव है। पहाड़ की चोटी पर बसे इस पुराने गाँव में एक पुराना आदमी रहता था – रमदा। रमदा के जमाने में कृषि वैज्ञानिक पैदा नहीं हुए थे इसलिए पहाड़ की चोटी पर भी खेती होती थी।
हम मानना चाहते हैं कि हमारी हर सोच, हर बात, और हर कृत्य के जरिए हम अपना और अपनों का कल बदल रहे हैं। जो आज से क्रोधित हैं उनसे हम क्रोधित हो जातें क्योंकि उनके सामयिक सवाल हमें अच्छे नहीं लगते।
नाम बदलने से शहर नहीं बदलते। शहर बदलने से लोग नहीं बदलते। लौट कर जाओ तो बस बढ़ी हुई चकाचौंध दिखती है। मूल नहीं बदलता क्योंकि बदलाव समय से नहीं, करने से आता है। और करने के लिए चाहत जरूरी है।
सोशल मीडिया पर एक मज़ेदार उद्धरण पढ़ा – अगर दुनिया में 300 धर्म हैं तो आस्तिक उनमें से 299 को नहीं मानता और नास्तिक 300 को। बस इतना ही सा फर्क है दोनों के बीच। पर कई लोग 299 और 300 के बीच झूलते रहते हैं।
नास्तिक आदमी को हवन कैसे अच्छा लग सकता है। पर मजबूरी थी। सासुमाँ के पण्डितजी का कहना था कि मेरी कुंडली में दूसरी शादी का योग है। क्योंकि पत्नी की जान को खतरा था तो ना चाहते हुए भी महामृत्युंजय जाप कराना जरूरी हो गया।
काफी समय पहले की बात है। हम लिखने वाले अक्सर मिल बैठते थे – थोड़ा सुनने और थोड़ा सुनाने। कुछ लोग केवल सुनने भर के लिए भी आ जाते थे। ऐसी ही एक जमघट में किसी सुननेवाले ने मुझे टोका, “कभी कुछ अच्छा भी लिखते हो?”
“मैं तुमसे प्यार करता हूँ सीमा!”, मैं कुछ पल की चुप्पी के बाद अचानक बोल बैठा और बोलते ही दूसरी ओर की खिड़की के बाहर ताकने लगा। मैंने सोचा कि वो सकुचाएगी, शरमाएगी, और फिर मान जाएगी। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
आज फिर सीमा की याद आ गई। यूँ तो सीमा की कोई सीमा नहीं होती पर जिसकी सीमा होती है उसकी भी सीमा नहीं होती। बात थोड़ी टेढ़ी और गैरजरुरी सी लगती है पर इसे संभाल कर रखियेगा – आगे काम आएगी!
हम केवल हम नहीं होते। कई और हम भी होते हैं हमारे हम में। और हम भी हिस्सा होते हैं कई हमों के। इतिहास और भविष्य किसी एक का नहीं होता। वह कुछ एकों का भी नहीं होता। हो ही नहीं सकता। क्योंकि वह सब का होता है।