शराब

दारू करन, चरस अर्जुन

करन अर्जुन केवल फिल्मों में नहीं होते। दोगाँव की कल्याणी भी, फिल्म वाली दुर्गा की तरह, इंतज़ार कर रही है अपने अर्जुन का। रील की दुनिया से फर्क बस इतना है की वह जब करन अर्जुन को लेकर बागेश्वर मेले गई तो वहाँ केवल अर्जुन खोया, करन नहीं।

लोकतंत्र का ठेका

आज से जात बिरादरी उतना मायने नहीं रखेगी क्योंकि ग्राम और जिला पंचायत के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। पर यह बात शराबी नहीं जानते इसलिए अभी भी अँधेरे को, पेड़ों को और हवा को गालियाँ देते हुए घूम रहे हैं। इनमें से कई, कई दिनों से नशे में है। एक निजी निर्णय का इतना लाभ कभी कभार ही मिलता है।