अदालत

सत्येन्द्र – वृतान्त 12

चाबी, हमेशा की तरह, बिजली मीटर के बॉक्स के ऊपर थी। उसने भारी मन से दरवाजा खोला। वह चाहता था कि उसे बंद दरवाजे के भीतर कोई इंतज़ार करता हुआ मिल जाए, यह जानते हुए भी की बंद दरवाजों के पीछे केवल खामोशी रहती है।

सत्येन्द्र – वृतान्त 11

इस पूरे हादसे के दौरान स्नेहलता आज पहली बार खुल कर रोई थी। मेनका भी अलंकार के अलावा किसी के सामने कमजोर नहीं पड़ी थी। वैसे कमजोर तो वह अब भी नहीं थी। वे दोनों तो बस आपकी बेबसियों को आत्मसात कर रहे थे।

सत्येन्द्र – वृतान्त 2

पन्तजी को काटो तो खून नहीं। भगत सिंह की जयजयकार करने वाले भी अपने घरों में भगत सिंह नहीं चाहते। पन्तजी के लिए हाँ कहना मुश्किल था। कुमाउँ के उच्चतम कुल का लड़का अगर ऐसा करेगा तो कितनी बातें होंगी समाज में।

सत्येन्द्र – वृतान्त 1

फैसले में कही जा रही बातें स्नेहलता कई बार सुन चुकी थी। उसे तो बस इस कानूनी बहस के अन्त में दिए जाने वाले निर्णय का इन्तज़ार था। वह सत्येन्द्र को रिहा करा कर घर जाना चाहती थी। वह एक रात में महीनों की नींद सोना चाहती थी।