लघु कथाएँ

हैरी का ईष्ट देवता

हैरी की एक छोटी सी दुकान है चौराहे पर। वो पैदा तो हरिया हुआ था पर जब परिवार ईसाई बना तो उसका नाम हरिया से हैरी हो गया। पिताजी हरदा हेनरीदा हो गए पर ईजा ईजा ही रही।

अछूत पंडित

दिन भर, बेखौफ, यहाँ वहाँ की खाक छान कर पंडितजी शाम को जबरदस्त पूजा अर्चना करते थे। बावजूद उसके पण्डितजी को कोविड हो गया। बात बिगड़ी, पर उतनी नहीं की अस्पताल जाना पड़े।

महामारी में इश्क

जब चारों दिशाओं में हाहाकार मचा हो, हर तरफ से दुख की ही खबरें आ रहीं हो तब व्याकुल मन उस अंधकार में रोशनी तलाशने निकलता है। क्योंकि रोशनी के बिना अंधकार संभव ही नहीं। एक ऐसी ही रोशनी की लघु कथा।