फ्यूंली
कहते हैं की हर दस किलोमीटर में भाषा का स्वरुप बदल जाता है। मुहावरे और लोकोक्तियाँ बदलने लगती हैं। कुछ ऐसा ही लोक कथाओं के साथ भी होता है जो जगह और समय के अनुसार अपने को नए रंग में ढाल लेतीं हैं। ऐसी ही एक अद्भुत कथा है फ्यूंली की।
कहते हैं की हर दस किलोमीटर में भाषा का स्वरुप बदल जाता है। मुहावरे और लोकोक्तियाँ बदलने लगती हैं। कुछ ऐसा ही लोक कथाओं के साथ भी होता है जो जगह और समय के अनुसार अपने को नए रंग में ढाल लेतीं हैं। ऐसी ही एक अद्भुत कथा है फ्यूंली की।