बदलाव

कोई शख्स यूँ ही हर रोज मर रहा है!

हम मानना चाहते हैं कि हमारी हर सोच, हर बात, और हर कृत्य के जरिए हम अपना और अपनों का कल बदल रहे हैं। जो आज से क्रोधित हैं उनसे हम क्रोधित हो जातें क्योंकि उनके सामयिक सवाल हमें अच्छे नहीं लगते।