बकरे

बलि के बकरे

लगभग सभी विचारधाराओं की नींव में हिंसा छुपी है – चाहे हिंसा बल की हो या शब्दों की। और जहाँ हिंसा होते है वहाँ होते हैं बलि के बकरे। हम समय के सत्ता बदल देते हैं, विचारधारा बदल देते हैं पर एक बलि-विहीन व्यवस्था स्थापित नहीं कर पाते।